विद्यार्थियो, इन्हें अपनाओ और सदा सुख पाओ! (Part – 1)

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विद्यार्थियो, क्या आप ये महसूस करते हो कि अध्ययनकाल ही जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय है क्योंकि यह ऐसा समय है जिसमें अभी मनुष्य जीवन की अधिक पेचीदगियों में नहीं उलझा होता। यह सरल स्वभाव से लिखने-पढ़ने, खेलने-कूदने, खुशी-मौज मनाने और अधिक निश्चिन्तता से रहने का समय होता है। इस पर भी विशेष बात यह है कि यह ब्रह्मचर्य का जीवनकाल है।

जिसमें विद्यार्थी महात्माओं के समान होता है और अपने घर की आशाओं का दीप, देश और समाज की कल की उम्मीद और मानव समाज का सबसे मूल्यवान साधन होता है जिसके विकास में समाज को रुचि होती है और जिसकी उन्नति से राष्ट्र को गर्व होता है।

अत आप खिलते हुए फूलों को, मुस्कराते हुए आपके चेहरों को, उमंग-उत्साह के आपके झरने को और आपके कर्म रूप में बहती आपकी ऊर्जा अथवा शक्ति की सतत धारा को देखकर, हरेक के मन को हर्ष होता है हर्ष ही नहीं बल्कि, प्रौढ़ और वृद्ध लोग तो कभी-कभी यह भी सोचते हैं कि हमारे जीवन के भी वो दिन कितने अच्छे थे!

गोया ये दिन जीवन के स्मरणीय दिन होते हैं। इसलिए ऐसे मासूम और विकासशील जीवन के लिए आपको मुबारिक और प्रौढ़ तथा वृद्धजनों का आशीर्वाद और माता-पिता, अभिभावकों तथा सम्बन्धीजनों का हार्दिक स्नेह तथा शुभभावना तथा मंगलकामना।

शुभभावना, शुभकामना और शुभाशिष के साथ-साथ कुछ ऐसे शुभ सुझाव भी आपको हम देना चाहते हैं जो आपके जीवन को अधिक सफल बनाने में आपके भाग्य के निर्माण में, आपके विकास की सम्पूर्णता में और जीवन लक्ष्य की सिद्धि में शायद आपको सहायक हों।

विद्यार्थियो, यह आपके लिए कोई आदेश, निर्देश या उपदेश नहीं है बल्कि कुछ अनुभवों की सार-सुरभि है। यह तो आपके लिए कुछ नजराने अथवा स्नेह-भेंट है और स्नेह-भेंट, चाहे अनमोल भी हो, स्वीकार तो की ही जाती है।

ये तो आपके जीवन में आदर्शवादिता और उच्चतम को पाने की इच्छा को देखकर आपके लिए कुछ शब्द सुमन हैं। ये तो आपके लिए ही प्रभु-प्रदत्त अमानत है अथवा मानव मात्र के व्यवहारिक जीवन दर्शन की विरासत है जो हम आप तक पहुँचाना चाहते हैं।

अत विद्यार्थियो, इनकी सुगन्धि लेने की कोशिश करना और इनको प्रयोग में लाने का यत्न करना और उसके बाद देखना कि क्या रंग खिलता है। हमारा यह सुझाव है कि आप इन्हें अपनाओ और सदा सुख पाओ!

आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।

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