विद्यार्थियो, आपका यह मुख्य कार्य है पढ़ना और लिखना जिसका उद्देश्य है सत्य को जानना, संसार में जो कुछ होता है उसके कारण को ढूँढ़ निकालना, खोज करके वास्तविकता तथा तथ्य तक पहुँचना, जानने की जो स्वाभाविक इच्छा अर्थात् जिज्ञासा है उसको तृप्त करना और इस प्रकार अंधकार से प्रकाश की ओर जाना।
जबकि आपके विद्या अध्ययन के उद्देश्यों में से पूर्वोक्त उद्देश्य भी महत्त्वपूर्ण है तो फिर जो कुछ पढ़ते हो उस पर विचार करो, उसका मनन करो, उसकी सत्यता-असत्यता पर निष्पक्ष भाव से चिन्तन करो। यदि वह अनुभव विवेक अथवा युक्ति के आधार पर सत्य मालूम होता है तो उसे स्वीकार करो।
यदि वह असत्य विदित होता है तो उसका परित्याग करो और यदि आपके पास उसकी जाँच करने का कोई साधन नहीं है तब उसको पढ़-सुन और समझ तो लो परन्तु उसके लिए काई निश्चित मत और दृढ़ विचार मत बनाओ तथा उसके विषय में कट्टरपंथी मत बनो। बल्कि यह सोच लो कि अभी इसकी गहराई में जाना बाकी है। तब तक यह सोच लो कि यह सत्य भी हो सकता है और असत्य भी। वर्तमानकाल में आप उसके प्रति तटस्थ रहो।
संसार में कुछ विषयों पर अनेक मत हैं। बड़े-बड़े बुद्धिजीवी, विद्वान अथवा विचारक इन विषयों पर अलग-अलग विचार व्यक्त करते हैं। उनमें से हरेक चिंतक अथवा विचारक अपने-अपने मत को प्रतिपादित अथवा सिद्ध करने के लिए तर्क, उदाहरण और दूसरों के शोध कार्य या उनकी रचनाओं के हवाले भी देते हैं।
यदि उनको बताने वाला व्यक्ति विवेकशील, चरित्रवान, निस्वार्थ, निष्पक्ष और अनुभवी हैं तो उसकी बात ठीक होने की संभावना तो है परन्तु फिर भी आप उस पर स्वतंत्र रूप से विचार करो। विद्यार्थियो, इस विषय में कभी भी पक्षपात मत करो, भावुक मत बनो। पूर्वाग्रह, दुराग्रह और संकीर्णता को छोड़ कर सत्य को ग्रहण करने की चेष्टा करो। क्या आप देखते नहीं कि आज संसार के कई क्षेत्रों में पूर्वाग्रह, हठवाद, रुढ़िवाद, रगड़े-झगड़े, खून-खराबा तथा मार-धाड़ का वातावरण बना हुआ है।
अत आप उदार मन से और खुले दिल से केवल सत्य को ही नहीं बल्कि परम सत्य, शाश्वत सत्य और सार्वभौम सत्य को भी जानने का यत्न करो, तभी जिज्ञासा, जोकि सब विद्याओं की जननी है, की सच्चे अर्थ में सन्तुष्टी होगी।
विद्यार्थियो, आप ऐसा सत्य जानने की कोशिश करो जो साथ-साथ शिव अर्थात् कल्याणकारी भी हो और सुन्दर भी हो अर्थात् मन के मैल को धोकर उसे उज्जवल बनाने वाला, चरित्र के दोष मिटा कर उसमें सुन्दरता को निखारने वाला और अंधकार एवं तम को भगा कर जीवन को आलोकित करने वाला हो। विद्यार्थियो, ऐसे सत्य को जानो, अपनाओ और सुदा सुख पाओ।
आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।