विद्यार्थियो, इन्हें अपनाओ और सदा सुख पाओ! (Part – 10)

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  • विद्यार्थियो, आज सभी ओर यह नारा लगाया जाता है कि यह वसुधा एक कुटुम्ब है अर्थात् हम एक वृहद परिवार के सदस्य हैं। सभी यह कहते हैं कि हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई आपस में सभी भाई-भाई हैं। इन दोनां मान्यताओं से ही स्पष्ट है कि हरेक मनुष्य के मन में यह सत्यता छिपे रूप में है ही कि हम में से हर कोई आत्मा है और हम सभी परमात्मा की संतान हैं।

  • यदि हम सभी स्वयं को आत्मा मानें और एक परमपिता परमात्मा की संतान मानें तो हम भाई-भाई कैसे हैं? शारीरिक रूप से तो हम सभी के अपने-अपने अलग ही माता-पिता हैं और इसलिए दैहिक दृष्टि से तो हम भाई नहीं हैं। अवश्य ही आत्मिक नाते ही से हम सभी भाई-भाई हैं और एक परमपिता की संतान हैं।

  • इस प्रकार, विश्व-भ्रातृत्व का सिद्धाँत अथवा इसकी मान्यता इसी सत्यता पर टिकी है कि हम में से हर कोई एक आत्मा ही है और इसलिए भाई-भाई हैं। यदि हम में से हरेक स्वयं को आत्मा को मानें तो भाईचारे का आधार ही मिट जायेगा।

  • अत संसार में परस्पर, स्नेह, सहानुभूति, सहयोग, सह-अस्तित्व एवं सहनशीलता के लिए विश्व भ्रातृत्व अथवा वसुधैव कुटुम्बकं के वाक्यों या वाक्यांशों द्वारा प्रतिपादित सत्य को स्वीकार करना ज़रूरी है।

  • अत विद्यार्थियो, इस सत्य को अपनाओ और सदा सुख पाओ क्योंकि इससे ही सद्गुणों का विकास होता है और मनुष्य के कर्म श्रेष्ठ बनते हैं अर्थात् इससे बुराई मिटती है और अच्छाई जीवन में आती है।
आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।

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