विद्यार्थियो, इन्हें अपनाओ और सदा सुख पाओ! (Part – 9)

0


  • विद्यार्थियो, जब आप संसार में अनेकानेक पदार्थों का ज्ञान या विज्ञान प्रापत करने के लिए समय, धन और शक्ति खर्च करते हो तो क्या स्वयं अपने आपको जानना आवश्यक नहीं? स्वयं को जाने बिना ही दूसरी बातों को जानने में लगे रहना तो गोया चिराग तले अंधेरा वाली उक्ति का चरितार्थ होना है। यह तो बाह्य मुख्ता है।

  • यदि किसी को इसे जानने के लिए जिज्ञासा ही नहीं होती तो मानो कि उसकी आध्यात्मिक जिज्ञासा वैसे ही मंद पड़ गई है जैसे किसी की पाचनाग्नि मंद पड़ जाती या भूख मर जाती है। अत वह तो आध्यात्मिक रोग का चिह्न है जिसका निवारण करने की आवश्यकता है।

  • अत विद्यार्थियो, यह भी जानो कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, कहाँ मुझे जाना है, मेरे जीवन का क्या लक्ष्य है, अच्छाई और बुराई में क्या अन्तर है और मुझे अपने कर्मों को अच्छा अथवा श्रेष्ठ बनाना है। इस प्रकार के आत्म-ज्ञान को अपनाओ और सदा सुख पाओ।
आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top