- विद्यार्थियो, संसार में मनुष्य की इच्छाओं का कभी अन्त नहीं होता। इच्छाओं को भोगते-भोगते व्यक्ति बूढ़ा हो जाता है तो भी उसकी इच्छाएँ जवान बनी रहती हैं। इच्छाओं में से भी कई इच्छाएँ तो जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने से सम्बन्धित, कई किसी उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के निमित्त और कई दूसरों की भलाई करने की होती हैं परन्तु मनुष्य की बहुत-सी इच्छाएँ विषय भोगों की भावना से उत्पन्न होती हैं।
- वे वासना-भोगों की भावना से उत्पन्न होती हैं। वे वासना-भोग नशीले पदार्थों के सेवन, इन्द्रियों के वेग और मन की तृष्णा को तृप्त करने के भाव से उठती हैं। ये उत्तरोक्त इच्छाएँ मनुष्य के विवेक पर पर्दा डाल देती हैं और बहुत-से बुरे कर्मों को करने पर मजबूर करती तथा उसे अपना अधिकािधक गुलाम बनाती चली जाती हैं।
- जो व्यक्ति सादगी, संतोष, संयम, नियम, मर्यादा और आत्म-नियंत्रण से मुक्त रहता है और आन्तरिक सुख तथा शान्ति का अनुभव करता है। अत विद्यार्थियो, आप अपने जीवन में सादगी और संयम-नियम को अपनाओ, मर्यादा का पालन करो तथा संतोष को धारण करो और सदा सुख पाओ।
आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।