विद्यार्थियो, इन्हें अपनाओ और सदा सुख पाओ! (Part – 14)

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विद्यार्थियो, किसी को भी दुःख देना पाप है। मन की चंचलता मनुष्य को तोड़फोड़ करने, दूसरों का अपमान करने, हुड़दंग मचाने आदि के लिए मनुष्य को उक्साती है। आप उस चंचलता को वशीभूत नहीं होने देना। विद्यार्थी होते हुए अपने स्कूल-कॉलेज की चीज़ों को तोड़ना, अपने आचार्यों का अपमान करना, निर्धन अथवा पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों से घटिया व्यवहार करना, होली पर हुड़दंग मचाना और राह जाते हुओं को सताना, सकूल और कॉलेज में प्रवेश प्राप्त करने वाले नये छात्रों तथा नई छात्राओं की रैगिंग करना, उनसे दुर्व्यवहार करना गोया स्वयं को मानवता के स्तर से नीचे उतारना, अपने मन में आसुरियता या असभ्यता को पालना तथा स्वयं को दूसरों के अभिशाप का भागी बनाना है।

विद्यार्थियो, जिस स्कूल और कॉलेज की वस्तुएँ हमारे ही प्रयोग और प्रगति के लिए हैं, उन्हें तोड़ना तो गोया स्वयं के तथा अपने सहपाठियों को या बाद में आने वाले विद्यार्थियों को हानि पहुँचाना है। क्या यह उन्माद है या बुद्धिमत्ता है? अपने ही देश की सम्पत्ति को नष्ट करना क्या यह देश भक्ति है या देश द्रोह?

विद्यार्थियो, अन्य व्यक्तियों को असमर्थ या किसी कारण से कम सुविधाओं से युक्त देखकर उनसे घटिया व्यवहार करना क्या यह सभ्यता अथवा मानवता है या इसके विपरीत भाव? विद्यार्थियो, यदि आपमें शक्ति है तो उस द्वारा दूसरों की सेवा करो, उन्हें सताओ नहीं। यदि किसी को सुख नहीं दे सकते तो उन्हें दुःख मत दो। विद्यार्थियो, दूसरों को सदा सुख दो और सदा सुख पाओ।

विद्यार्थियो, अब आप स्वतंत्र रूप से स्वयं ही सोचो और निर्णय करो कि पूर्वोक्त तथा जीवन के लिए लाभदायक हैं या नहीं। इसके साथ-साथ उन्हें जीवन में अपनाओ और सहज ज्ञान तथा सहज राजयाग, जिससे कि व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास होता है, आदतें सुधरती हैं, अच्छे संस्कार बनते हैं, विवेक विकसित होता है, मन की एकाग्रता बढ़ती है, सदाचार और सद्व्यवहार स्वभाव ही बन जाते हैं और मनुष्य हर कार्य में सद्गुणें को प्राप्त करता है तथा उसकी कार्यक्षमता और विचार शक्ति भी उन्नति को प्राप्त होते हैं, की शिक्षा प्राप्त करो।

यदि आपके मन में स्वयं आत्मा और परमपिता परमात्मा को जानने तथा अनुभव करने की जिज्ञासा हो, यदि आप मन में शान्ति और आनन्द को बनाये रखना चाहते हो तो प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय भी निशुल्क आपकी यह सेवा कर सकता है। अब आप समय निकाल कर जीवन को महान बनाओ और सदा सुख पाओ।
..... मा

आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।

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