- विद्यार्थियो, न बुरा सुनना, न बुरा देखना और न बुरा बोलना। इस सावधानी को अपनाने से तुम्हारे जीवन की सफलता और तुम्हारे मन में हर्षोल्लास का बना रहना निश्चित है। जिसका चारित्रिक पतन हो जाता है, उसका मन कभी भी शान्त और संतुष्ट नहीं होता क्योंकि उसकी अन्तरात्मा सदा ही उसे लानत देती तथा कोसती रहती है। उसके चित्त में सदा ही ग्लानि बनी
- रहती है और अपने साथ कभी भी सुख का अनुभव नहीं करता। बाहर वाले जब उसकी महिमा करते हैं, तब उसके भीतर उसका मन उसका कालिमापूर्ण चित्र उसके सामने लाता है और उसे अपनी बुराई आँख में गये पत्थर-कण की तरह या गुर्दे में पथरी की तरह सदा चुभती ही रहती है।
- तब ऐसे जीवन से क्या लाभ जिसमें आत्म-ग्लानि मनुष्य के साथ परछाई की तरह उसके पीछे लगी रहे? अत विद्यार्थियो, आज से अपने मन में यह दृढ़ संकल्प करो कि जो दिन बीत गये सो बीत गये, परन्तु आज से हम अपनी जीवन पुस्तक का नया अध्याय खोलेंगे और उद्यमता को अपने जीवन में कभी पास भी नहीं फटकने देंगे। हम किसी के कहने पर लग कर, किसी के प्रभाव या दबाव में आकर अपने आत्मा को नहीं बेच डालेंगे या अपने चरित्र को नहीं लुटा देंगे क्योंकि अगर चरित्र ही चला गया तो बाकी हमारे पास क्या रह जायेगा जिस पर कि हम अपना मस्तक उठा सकें?
आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।