विद्यार्थियो, इन्हें अपनाओ और सदा सुख पाओ! (Part – 7)

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  • विद्यार्थियो, आप सोचते होंगे कि बहुत-से वैज्ञानिक तथा दार्शनिक तो यह भी कहते हैं कि मैं कहने वाली सत्ता अभौतिक नहीं है अर्थात् वे शरीर एवं मस्तिष्क से अलग किसी चेतन या शाश्वत सत्ता को नहीं मानते हैं, आप ठीक कहते हैं कि ऐसे लोग भी हैं परन्तु संसार में करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जो अभौतिक एवं चेतन सत्ता का शरीर से अलग शाश्वत अस्तित्व मानते हैं।

  • आज बहुत-से ऐसे वैज्ञानिक भी हैं, जिन्होंने विज्ञान के किसी--किसी क्षेत्र में नॉबल पुरस्कार भी प्राप्त किया है और जो यह मानते हैं कि शरीर से भिन्न एक चेतन सत्ता है। आज ऐसे अध्यात्मकवादी भी हैं जोकि शरीर विज्ञान के आधार पर यह भी स्पष्ट करते हैं कि उस अभौतिक चेतन सत्ता, जिसे आत्मा कहते हैं, का मस्तिष्क में कहाँ निवास है और वह शरीर से कैसे कार्य लेती है तथा सारे शरीर से उसका सम्बन्ध किस तरह है।

  • ऐसे अध्यात्मकवादी शिक्षा संस्था भी हैं जिसमें शरीर विज्ञान तथा अन्य विज्ञानों को जानने वाले लोग विज्ञान सम्मत रीति से यह स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं कि मस्तिष्क में एक चेतन अविनाशी सत्ता है जिसे आत्मा, रूह, सोल या अन्य नामों से भी हिन्दु, मुसलमान, सिक्ख तथा ईसाई मानते हैं।
आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।

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