हृदय के वैरी – कोध और तंबाकू

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अक्सर आपने किसी को ऐसा कहते सुना होगा, अरे, तुमको बहुत गुस्सा आता है, ज़रा अपना ब्लडपेशर चेक कराओ। अगर हाल ही में, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना शुरू हुआ हो या चिड़चिड़ाहट होने लगी हो, तो बड़े-बूढ़े कह देते हैं, तुम्हारा स्वभाव बदल रहा है, ज़रूर अंदर कुछ बीमारी है। आपसी व्यवहार में कड़वाहट दर्शाती है कि अंदर कोई बीमारी पैदा हो रही है।

कुछ लोग कहते हैं, गुस्सा तो सामान्य है, यह तो आयेगा ही। कई समझते हैं, यह खिसियाहट, चिड़चिड़ापन कोई गुस्सा थोड़े ही है। वे चीखकर बात करने को ही कोध करना समझते हैं तथा चिड़चिड़ेपन को स्वाभाविक समझते हैं।

गुस्सा है घर में पाला हुआ दुश्मन

गुस्से की सही परिभाषा को समझना होगा। गुस्सा बहुत गहन बीमारी है। इसकी गुप्त जड़ें कहाँ तक पहुँची हुई हैं, इसको समझने के लिए अपने मन की स्कैनिंग स्वयं करनी होगी। प्रत्येक व्यक्ति यही समझता है कि मैं तो ठीक हूँ, दूसरों का व्यवहार ग़लत है इसलिए गुस्सा आता है। वह यही कहता है, मैं सही बोलूँ और दूसरे झूठ बोलें तो गुस्सा तो आयेगा ही, जब अपने ही लोग ठीक सूचना नहीं देते तो गुस्सा तो आयेगा ही, जब कोई बात सुने तो गुस्सा तो आयेगा ही।

दूसरों का व्यवहार, वार्तालाप या उनकी जीवनशैली को देख अगर हमें गुस्सा आता है तो समझ लें, हमने अपने घर में दुश्मन को पाल रखा है। कोध हृदय का खौफनाक दुश्मन है। गुस्सा पाकृतिक नहीं है, गुस्से का पभाव हृदय पर बहुत गहन पड़ता है।

तम्बाकू हृदय का दुश्मन

बहुत-से लोग कहते हैं, जब हमें गुस्सा आने लगता है तो गुटखा, खैनी, बीड़ी, सिगरेट आदि तम्बाकू वाली वस्तुओं का सेवन करने से गुस्सा कम हो जाता है। तम्बाकू, सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, खैनी ये तो हृदय के और भी जबर्दस्त दुश्मन हैं।

आपने कइयों को यह भी कहते सुना होगा कि हम तो स्मोकिंग नहीं करते हालांकि उन्होंने मुँह में गुटखा आदि डाला होता है। शायद वे नहीं जानते कि यह भी तम्बाकू है। यह हृदय का दूसरा दुश्मन है। तम्बाकू किसी भी रूप में लिया जाये, हृदय का दुश्मन ही है।

हृदय करे आराम तो हो जाए काम तमाम

हृदय के बारे में थोड़ा वैज्ञानिक रूप से समझें तो हम जानेंगे कि हमारा हृदय केवल मांसपेशियों  का बना हुआ है और सामान्य तौर पर इसका आकार अपनी मुट्ठी जितना होता है। शरीर के अंदर यह एक पम्प का कार्य करता है। इस पम्प के द्वारा सारे शरीर में खून का दौरा पहुँचता है जिससे सारे शरीर को ऑक्सीजन, भोजन (ग्लूकोज) अर्थात् सब कुछ पहुँचता है।

हार्ट एक ऐसा पम्प है जो एक मिनट में सारे शरीर में पांच लीटर खून का दौरा करा रहा है। एक घंटे में 300 लीटर और 24 घंटों में 7200 लीटर ब्लड को पम्प करता है। एक महीने का हिसाब लगाएँ तो 2,16,000 लीटर और एक वर्ष में 25,92,000 लीटर खून की पम्पिंग करता है। ज़रा भी आराम नहीं करता यह हृदय और कभी छुट्टी भी नहीं, अगर एक मिनट भी यह काम करना बंद कर दे तो सारा काम तमाम।

तनाव से बढ़ जाती है बहृदय की धड़कन

क्या कभी विचार आया, हार्ट की माँसपेशियाँ, जो समय पर इतना रक्त पूरे शरीर को पहुँचाने की ज़िम्मेवार हैं, उनको शक्ति, ऑक्सीजन, भोजन इत्यादि की पूर्ति कैसे होती है? शरीर में तीन कोरोनरी होती हैं जिनके अंदर का घेरा केवल 3 से 4 एम.एम. होता है। इनके द्वारा हार्ट की माँसपेशियों को ऑक्सीजन और भोजन की सप्लाई मिलती है।

ज़रा सोचें, जब हम टेन्शन में होते हैं या हमें गुस्सा आता है तो हमारे हृदय की गति कितनी बढ़ जाती है! उसके साथ ब्लड पैशर भी बढ़ जाता है। सामान्य रूप से हृदय एक मिनट में 60-80 बार धड़कता है। यदि घबराहट है, एन्जाइटी  है, परेशानी है, मूड खराब है तो यह गति और अधिक हो जाती है। टेंशन और गुस्से के कारण इसकी गति बढ़कर 90-100 बीट्स पति मिनट हो जाती है।

निकोटिन से सिकुड़ जाती है कोरोनरी आर्टरी

गति बढ़ने से स्वाभाविक है कि हृदय की ऑक्सीजन की ज़रूरत और भी बढ़ जायेगी। साथ-साथ ग्लूकोज और अन्य पदार्थों की आवश्यकता भी बढ़ जायेगी। परंतु आम तौर पर तनाव को कम करने के लिए लोग तम्बाकू का सेवन कर लेते हैं चाहे गुटखे के रूप में या सिगरेट के रूप में। तम्बाकू के अंदर एक पदार्थ होता है जिसे निकोटिन कहते हैं जिसके द्वारा थोड़ा टेंशन तो ज़रूर कम हो जाता है परंतु आपको सत्य जानकर हैरानी होगी कि निकोटिन कोरोनरी आर्टरी को सिकोड़ देता है।

इसी कोरोनरी आर्टरी के द्वारा हृदय, माँसपेशियों को ऑक्सीजन और ग्लूकोज पहुँचा रहा था। इस समय ही तो हृदय को अपनी माँसपेशियों के लिए ज्यादा रक्त चाहिए था और इसी मौके पर इसको रक्त पहुँचाने वाली कोरोनरी आर्टरी सिकुड़ जाये और हृदय की माँसपेशियों को ऑक्सीजन, ग्लूकोज तथा अन्य आवश्यक पदार्थ पहुँचें, तो आप समझ सकते हैं कि नतीजा क्या होगा?

यह तो ऐसे ही हुआ जैसे कि कोई अधिक काम करे और उसे अधिक ऑक्सीजन और भोजन की ज़रूरत हो पर हम उसे हवा, खाना, पानी देकर उसका गला ही घोट दें तो महापाप कहा जायेगा न। सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, खैनी किसी भी रूप में लिया जाने वाला तम्बाकू भी यही काम करता है।

कभी-कभी कुछ लोग कहते हैं कि हम तो सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू कुछ भी सेवन नहीं करते फिर हमें हृदय रोग क्यों? इसका कारण है गुस्सा, छोटी-छोटी बात में टेन्शन, तनाव, घबराहट, चिंता ये सब बातें भी हृदय पर बुरा प्रभाव डालती हैं।

वास्तव में, हार्ट अटैक का मूल कारण है हार्ट की ऑक्सीजन सप्लाई और डिमांड के बैलेंस का बिगड़ना। और बिगाड़ने का जिम्मेवार कौन? वो तो हम ही हैं क्योंकि बात-बात में गुस्सा करते हैं। बेचैन होने का नेचर तो हमने ही बनाया है।

राजयोग से हृदय की सुरक्षा

राजयोग के अभ्यास द्वारा गुस्सा करने या बेचैन होने की आदत से मुक्त हो सकते हैं और हृदय को भी सुरक्षित रख सकते हैं। तम्बाकू लेना, यह तो और भी सोने पर सुहागा है। हृदय की सुरक्षा हमारे हाथ में है। एम्स हॉस्पिटल में एक मेडिटेशन रूम है। वहाँ पर राजयोग मेडिटेशन ट्रेनिंग द्वारा एम्स हॉस्पिटल के स्टाफ, नर्सिस, डॉक्टर्स, पेशेंट और उनके रिश्तेदार सभी को तनावमुक्त, कोध-मुक्त और तम्बाकू-मुक्त करने का प्रयास चल रहा है।

पिछले दस वर्षों में इसमें बहुत सफलता मिली है। योग को जीवनशैली का हिस्सा बना लें तो मन शान्त रहेगा, गुस्सा नहीं आयेगा, तनाव से मुक्त हो जायेंगे। सुबह और शाम केवल 20 मिनट राजयोग अभ्यास से, बहुतों ने कोध-मुक्त और तम्बाकू मुक्त जीवन जीने की कला सीखी है और अपने मित्र-संबंधियों को भी लाभान्वित किया है।

अगर 20 मिनट का समय नहीं है तो हर घंटे में एक मिनट तो मेडिटेशन के लिए समय निकाल ही सकते हैं। यदि हम अपने को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो समय अवश्य ही निकालेंगे।

आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है। 

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