गीत-संगीत एक ऐसी सुदर कला है जो मानव मात्र को पभु प्यार में लवलीन कर देती है। उदास निराश मन भी खुशियों में झूमने-नाचने लगता है। गीत के मधुर बोल और संगीत के सुरीले साज आत्मा को इस देह और देह की दुनिया से परे उड़ती कला में उड़ा कर अशरीरीपन की अनुभूति करने में मदद करते हैं।
इस माध्यम से, भटकता हुआ मन अपनी मंजिल को सहज पाप्त कर लेता है। प्रभु–स्मृति में गाये जाने वाले गीत अध्यात्म मार्ग अथवा योग के लिये बहुत ही उपयोगी सिद्ध होते हैं। एक नामीग्रामी आयुर्वेदाचार्य का मंतव्य है कि –
तनावमुक्त व स्वस्थ जीवन जीने के लिये पाचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन, सहज योग एवं संगीत पभावशाली साधन हैं।’’
इसमें कोई शक नहीं कि आध्यात्मिक साधना सर्वोच्च सफलता के शिखर पर पहुँच सकती है बशर्ते उपरोक्त ‘तीन एम’ का संतुलन हो। मेडीटेशन के लिये चित्त की एकाग्रता बुनियादी तौर पर आवश्यक है। यदि शरीर बीमार हो तो एकाग्रता डगमगा सकती है। इसलिये औषद्यौपचार की आवश्यकता है। सुरीला मधुर संगीत मन को एकाग्र करने में सहायक हो सकता है साथ ही साथ मन को आनंदित भी करता है।
संगीत रोगोपचार के लिये एक प्रभावशाली साधन सिद्ध हुआ है। चाहे मानसिक रोग हो अथवा शारिरिक व्याधि हो, मधुरसंगीत काफी हद तक व्याधि दूर करने में सहायक सिद्ध हुआ है। श्री बालाजी हेल्थ फाउन्डेशन के डायरेक्टर डॉ.बालाजी तांबे के मतानुसार शास्त्रोक्त संगीत अनेक बीमारियों का पभावशाली उपचार है।
अनुसंधान के दौरान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का कुछ चुनिंदा रोगों पर पयोग कुछ विशेष बीमारियों के लिये किया गया। पेट दर्द से लेकर मासिक धर्म की गड़बडी तथा गंभीर रोग जैसे सिझोफेरनिया और मिरगी समान रोग भी दुरुस्त करने में शास्त्रोक्त संगीत सक्षम सिद्ध हुआ है। अनेक मनोचिकित्सक संगीत की रोग निवारण शक्ति से प्रभावित हुये हैं।
संगीत की ध्वनि तरंगे तुरंत मनुष्य के हारमोन सिस्टम को पभावित करके शरीर के रोग ग्रस्त अंग को आराम पहुँचाती हैं। लेकिन वे इस बात से सावधान करते हैं कि कर्पश व जोर-शोर वाला संगीत जैसे रॉक म्जुजिक तथा ड्रम को पीटने से निकलने वाली आवाज से स्वास्थ्य को नुकसान पहुँच सकता है तथा गंभीर उलझनें पैदा हो सकती हैं।
ऐसे म्युजिक का दुष्परिणाम श्रवणेन्दिय, नाड़ी संस्थान, हृदय व मस्तिष्क पर हो सकता है। डा. तांबे का कहना है कि राग भैरवी के स्वरों का पयोग स्कीझोपेनिया नामक बीमारी के उपचार में सफल तथा पभावशाली सिद्ध हुआ है।
यह एक मानसिक बीमारी है जिस कारण रोगी का विचारों, भावनाओं व कर्मों से संबंध टूट चुका होता है। राग भैरवी निद्रा रोग में भी अच्छा काम करता है। राग शिवरंजनी स्मरण शक्ति बढ़ाने तथा अन्य मानसिक रोगों के निवारण में सहायक है। राग तोड़ी तनाव कम करता है तथा बढ़ा रक्त चाप कम करता है।
गणपति सच्चिदानंद स्वामी भी संगीत थेरेपी के जाने माने विशेषज्ञ हैं जिनके 45 शास्त्रोक्त संगीत के कार्यकम सन् 1993 में सारे विश्व में हुये। वे संगीतोपचार द्वारा बीमारियों का इलाज करते हैं। उनका मानना है कि – संगीत चतुर्थ उपवेद है जिसमें बहुत बड़ा औषधी गुण है। उनका दावा है कि संगीतोपचार से कैंसर व एड्स जैसी थेरेपी द्वारा इलाज किया जा सकता है।
स्ट्रेस मनेजमेंट का मतलब केवल यह नहीं कि स्ट्रेस को दबाया जाये अथवा मुक्त किया जावे लेकिन ऐसी जीवन पद्धति अपनाई जाये जिससे तनाव पैदा होने की गुंजायश ही न रहे । समय का तकाजा है कि हमें एक ऐसी जीवन पद्धति चाहिये जो हमें तनाव से दूर रखे तथा हममें एक नई शक्ति का संचार करे। साथ-हीöसाथ हिलिंग म्यूजिक की आवश्यकता है जो मनुष्य के अस्तित्व के तीन स्तर अर्थात् भौतिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक स्तरों पर कार्य करे।
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय एक ऐसी जीवन पद्धति का अग्रदूत है जो उपरोक्त तीनों स्तरों पर कार्य करती है। इस संस्था द्वारा एक ऐसे जीवनदर्शन को प्रशस्त किया गया है जिसका नाम है – कमलपुष्प समान पवित्र जीवन। जिसमें राजयोग की पमुख भूमिका है।
योग में सहायक मधुर संगीत ही आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित होता है, वह भी बजाने की परिपाटी है। प्रभु स्मृति के गीत यदि शास्त्राक्त संगीत पर आधारित हो तो योगी को डबल फायदा होगा।
आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।