विश्व नवनिर्माण और युवा शक्ति

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आज का विश्व विज्ञान के नये आयामों के सहारे खड़ा दिखाई दे रहा है। एक तरफ तो मानवता उन्नति के शिखर पर, कम्पयूटर युग में पहुँच चुकी है परन्तु दूसरी ओर नैतिकता के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से पतन की सीढ़ियाँ उतरता हुआ मानव निम्न स्तर तक पहुँच चुका है। इस पकार के वातावरण में आज का युवा अपनी इच्छाओं को ध्वस्त होते देख कर छटपटा रहा है, वहाँ मानवता की आँखें इन परिस्थितियों से उबरने के लिए युवा शक्ति की ओर ताक रही हैं।

परन्तु युवा शक्ति एक बहती हुई नदी के समान है जो बाढ़ आने पर उसके वेगपूर्ण पानी के कारण मर्यादा से बाहर जाती है और गाँव तथा नगरों को बहा कर नष्ट कर देती है। दूसरी तरफ उसी पानी को बाँध कर, उसका मार्गान्तिकरण करने से, खेत हरे-भरे हो जाते हैं और बिजली के पैदा होने से, कलकारखाने भी देश के उत्पादन को बढ़ाते हैं।

ठीक इसी पकार, यदि युवा वर्ग की शक्ति को भी उचित मोड़ दे दिया जाय तो वह भी तोड़-फोड़ अथवा विध्वंस-विनाश की बजाय रचनात्मक कार्य करने में कुशल हो सकती है। ऐसा रचनात्मक कार्य ही एक नये विश्व की रचना करने में सफल होगा जिसमें स्नेह, सहयोग, भ्रातृत्व की भावना, कर्मठता, शीतलता, संतोष, शक्ति और शान्ति एक साथ होंगे।

युवा काल के आधार पर ही हरेक व्यक्ति का भविष्य और चरित्र बनता है। इसलिए कहा जाता है कि आने वाले विश्व की बागडोर युवा के हाथों में है। वैसे देखा जाये तो हर क्षेत्र में युवा-शक्ति का महत्त्वपूर्ण स्थान है चाहे देश की रक्षा की चुनौती हो, चाहे इंजीनियरिंग का क्षेत्र हो, चाहे नेता हो या अभिनेता, मजदूर हो या किसान, व्यापारी वर्ग हो या अध्यापक वर्ग-हर क्षेत्र में युवकों का अपना ही महत्त्व है।

पाय यह देखा जाता है कि दूसरे ग़लत या बुरा कर्म कर रहे हैं तो हम भी उसका पतिशोध लेने के लिए, बदला लेने के लिए उससे बुरा व्यवहार करें-आज के लक्ष्यहीन युवा की यही धारणा बनी हुई है। जिस कारण अगर एक व्यक्ति बुराई फैलाने के निमित्त बनता है तो उसको देखकर वैसे ही अनुकरण करने वाले और बढ़ जाते हैं और यह बुराई युवा काल में बढ़ती जाती है। समझदार वो हैं जो अतीत के पृष्ठों को पलट कर, वर्तमान का रंगमंच बनाकर भविष्य का निर्माण कर लेते हैं।

युवा वर्ग के बारे में एक विशेष बात यह भी है कि युवक नई-नई एवं कठिन चुनौतियों को भी स्वीकार करते हैं। वे अपने वचन को पूरा करने के लिये कठिनाइयों की परवाह नहीं करते, मुसीबतों का सामना करने और जिम्मेवारियों का बोझ उठाने से घबराते हैं।

विशेषकर जहाँ अपने मातृ देश के मान का पश्न हो तो वहाँ तो वे अपने खून का आखिरी कतरा बहाने से भी पीछे नहीं हटते। जिस माँ ने जन्म दिया, पालन किया, पढ़ाया और पोषण किया तथा कष्ट झेले, उसके लिए तो वे जीवन भी न्यौछावर करना कर्त्तव्य मानते हैं। परन्तु युवकों को यह मालूम होना चाहिए कि अब भारत माँ या धरती माता की पुकार क्या है।

उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि अब यह माँ विकारों की जंजीरों में जकड़ी अपने लालों को पुकार रही है। अत अब युवकों तथा युवतियों को इस कठिनतम चुनौती को स्वीकार करने में आगे आना चाहिये क्योंकि इस स्वतत्रता से सम्पूर्ण सुख-शान्ति के दिन जायेंगे।

यह कार्य कठिन और यह चुनौती विकट तो है परन्तु इसमें सर्व-समर्थ परमात्मा का आशीर्वाद और साथ है और इस परिवर्तन के लिए युवकों को और युवतियों को केवल निमित्त बनना है।

युवा अपने राष्ट्र के चरित्र उत्थान में मुख्य योगदान दे सकते हैं यदि वे इन बातों से बचें।          1. अश्लील फिल्में  2. कुसंग  3. गुटबन्दी 4. फैशन 5. व्यसन 6. चरित्रहीनता।

हे नवयुवको आइये! नये विश्व के निर्माण के लिए अपने तन-मन-धन का सर्वोच्च बलिदान दें। अपने एक-एक खून की बूँद को कठिन परिश्रम के रूप में छिड़क कर, इस धरती को हरा-भरा बनाएँ। अपनी वीरता से राष्ट्र की पुकार को साकार में लाएँ तथा अपने आदर्श जीवन से सारे विश्व को आदर्श बनाने की परेणा पदान करें।

इस धरती पर नई आध्यात्मिकता की लहर फैला दें, हर एक के अन्धेरे मन में ज्ञानदीप जलाकर रोशनी करें, इस विश्व में शान्ति की किरणें फैलाकर एक सुन्दर, सुनहरे, मनमोहक विश्व के नवनिर्माण में अपने अमूल्य जीवन को धन्य करें।

आपका प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में तहे दिल से स्वागत है।

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