प्रसन्नता का आधार –– नि:स्वार्थ दान (Part 3)

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(भाग 2 का बाकि)

प्रसन्नता का शरीर पर प्रभाव

प्रसन्नता परम स्वास्थ्यवर्धक है। देह और मन दोनों के लिए मित्र तुल्य प्रसन्नता-स्वास्थ्य है, इसके विपरीत उदासी है रोग।

–– एडीसन हॉलीवर्टन

सृजनात्मक क्षमता से भरपूर एक प्रसन्न व्यक्ति जितना अधिक कार्य, बिना थके सम्पन्न कर सकता है, उतना एक साधारण व्यक्ति नहीं। यदि उनकी अन्य योग्यता समान भी हो फिर भी नहीं। क्योंकि प्रसन्नता के कारण उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दूसरे की तुलना में उत्तम होता है। प्रसन्नता जीवन में सरलता अर्थात् तरलता पैदा करती है, जो जीवन में उत्पन्न कठिनाईओं के प्रति अवरोधक शक्तियों को या संघर्ष को कम कर देता है। यह कार्य वैसा ही है जैसे मशीन की क्षमता को लुब्रिकेन्ट बढ़ा देती है।

यदि जीवन के प्रति क्रोध, चिड़चिड़ापन, कुढ़न, निराशा, उदासी और प्रतिरोधात्मक दृष्टिकोण है तो समझ लीजिए आपकी स्नेह क्षमता समाप्त हो रही है। परिणाम निश्चित ही भयंकर आने वाले हैं, वैसे ही जैसे बिना लुब्रिकेन्ट के चल रही मशीन का। दुनिया के सफलतम लोगों का इतिहास देखें तो आप पायेंगे कि उनका दृष्टिकोण सदा प्रसन्नता और उमंग-उत्साह से भरपूर था। उनके मुखमंडल पर शक्ति आशा, प्रेम, दया और आत्म-विश्वास से भरपूर ज्योतिर्मय नेत्र, उठते कदम में मस्तीभरा तारतम्य और होठों पर प्राप्तिभरी मुस्कान वाला जिन्दादिल चेहरा, लाखों में अपनी अलग ही पहचान बनाता है। बातों-ही-बातों में, मुस्कुराना, खिल-खिला कर हँसना, विनोद प्रियता इत्यादि ऐसी प्रसन्नता, खुशमिजाज लोगों की आदत-सी बन जाती है। लोगों को प्रसन्नता देने की ज़रूरत है।

इस प्रकम्पन का प्रभाव शरीर की नलिका विहीन ग्रंथियों पर पड़ता है। फलत उस प्रभाव से उत्पन्न रायायनिक श्राव का प्रभाव शरीर के विभिन्न तंत्रों जैसे पाचन तंत्र, स्नायुतंत्र, श्वसन तंत्र इत्यादि पर पड़ता है। शरीर को स्वस्थ और सुखद दशा में कायम रखने के लिए जिन अन्तस्त्राव की ज़रूरत होती है प्रसन्नता के ये प्रकम्पन उनमें अत्यधिक सहायक साबित होते हैं। हाल ही में अमेरिका में थोरेसिक सोसायटी इन्टरनेशनल कान्फ्रेंस द्वारा किये गये शोध से पता चला है कि आशावादी दृष्टिकोण से फेफड़े की प्रक्रिया सुधारी जा सकती है।

जीवन में मुस्कान साँस से कम नहीं

मानव जीवन में खुशी के लिए आपसी आदान-प्रदान की अपनी अहम भूमिका है। बिना सहयोग, सहकार के जीवन सम्भव ही नहीं है। जितनी भी चीज़ों का मानवीय सम्बन्धों में आपसी लेन-देन होता है उसमें मुस्कान सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। जीवन में सफलता के लिए और आदर्श व्यक्तित्व के निर्माण में इस गुण का कोई मुकाबला नहीं। यह प्रेरणा की वे किरणें है जो मुर्दे सदृश्य मनुष्य के जीवन में जीने की नई आशा का संचार कर देती है।

w मुस्कान तो फूल के मानिन्द है, जो चारों ओर खुश्बू ही खुश्बू फैला देता है। क्षण भर की यह सुवास तो कभी-कभी यादगार बन जीवनपर्यन्त छाई रहती है।

w इसकी चाहत के सभी दीवाने हैं, चाहे वह गरीब हो या अमीर।

w जैसे प्रत्येक सुबह के लिए सूरज की ज़रूरत है उसी तरह मुस्कान, थके होठों के लिए विश्रामपूर्ण करुणामयी शीतल गोद है।

w इसका प्रभाव जीवन में सर्वांगीण है। यह क्रियापार में शुभ भावना, परिवार में खुशी और समाज में मित्रों की संख्या और उसके सम्बन्धों में गहराई की अभिवृद्धि करता है। यह अद्भुत है। न तो इसे खेत में पैदा किया जा सकता है और न ही यह बाजार में बिकता है। न तो यह उधार माँगने से मिलता है और न ही कोई इसे चुरा सकता है।

w यह इस लोक में प्रभुलोक से उतरी वह दिव्य किरण है, जो देने से बढ़ते हुए अनुपात में मिलती है। यह तृप्ति, खुशी और प्रसन्नता का समुच्चय है, जो खिले पुष्पों की तरह होठों पर प्रकट होकर चारों ओर बिखर जाती है।

मुस्कान बाँटें आज लोगों को इसकी आवश्यकता है

आज जहाँ संसार में चारों तरफ दुःख का अन्धकार छाया है वहाँ इस बात की अति आवश्यकता है कि कैसे उनके जीवन में प्रसन्नता का प्रकाश फैलाया जाये। यह महान् कार्य प्रसन्नता से उल्लासित व्यक्ति ही कर सकता है। प्रसन्नता से दीप्त व्यक्तित्व के आगे धन-वैभव, सौन्दर्य और योग्यता सभी की चमक भी फीकी पड़ जाती है। यह निराशा और शोक संतप्त लोगों में आशा और खुशी का नूतन प्राण पूँक देती है। प्रसन्नता से आह्लदित हृदय से जब मधुर वाणी झरती है तो ऐसा लगता है कि तप्त मरुउद्यान में सावन की रिमझिम फुहार पड़ रही है।

क्या आप नहीं चाहेंगे कि ऐसे व्यक्ति के साथ ही जीवन बिताया जाये। जो निन्दा, परचिंतन और अस्तित्व विहीन आलोचना में व्यस्त रहते हैं, हमें अपने आपको उनसे सदा बचाकर रखना चाहिए। साथ ही प्रसन्नता में बाधक विचारों के आते ही उसे मन से तुरन्त झटक देना चाहिए। मनहूस विचार और मनहूस व्यक्ति आपके प्रसन्न व्यक्तित्व को धूमिल और अनाकर्षण कर सकते हैं।

प्रसन्न व्यक्ति की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे सदा धैर्यवान, सहनशील, विनम्र, शान्तचित्त, मृदुभाषी और ईमानदार होते हैं। इसलिए उनका प्रभाव लोगों पर ख्याति, प्रतिष्ठा और विश्वास करने वाले सुंस्कृत भव्य इंसान के रूप में पड़ता है।

                                                                                                                                                   शेष भाग - 3


प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में सपरिवार पधारें।
आपका तहे दिल से स्वागत है।

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